शनिवार, 21 जनवरी 2023

पेड़ और पिता

पेड़ और पिता 

पेड़ पर चहचाहती है चिड़िया 
उछलती है फुदकती है 
और बंदर भी इस डाल से उस डाल पर 
धमाचौकड़ी करते रहते है 
और 
पिता के शरीर पर भी कूदते है बच्चे 
पेड़ पर थक कर सो जाती है चिड़िया 
और बंदर भी 
पिता के पेट पर भी लेटते ही सो जाते है बच्चे 
कभी पिता कुर्सी बन जाता है तो कभी घोड़ा 
कभी पिता बिस्तर बन जाता है
और पेड़ भी तो
बच्चो के लिए छाया होता है पिता 
और चिड़िया के लिए पेड़ 
कभी देखा है बंदर के बच्चे का दुस्साहस
और कूद पड़ने का प्रयास डालियों पर 
उसे विश्वास है मां सम्हाल लेगी 
पर इस कूद फांद में 
पेड़ की कितनी पत्तियां और टहनियां टूट जाती है 
बच्चे भी तो बिस्तर या कही भी ऊंचाई से 
बस हाथ फैला कर कूद पड़ते है पिता के ऊपर 
कि पिता गिरने नही देगा 
बच्चो का विश्वास टूटने नही देता पिता
तभी तो 
जब पिता उछाल देता है आसमान की तरफ
तो बच्चा डरता नहीं रोता नही हंसता है 
जानता है कि पिता गिरने नही देगा 
कहा से आता है बच्चो में ये आत्मविश्वास 
और स्पर्श का भी कुछ होता है 
कि पेट पर सुला कर थपकी देते ही सो जाते है बच्चे 
पिता का हाथ हो या पांव झूला बन जाते है अक्सर 
पेड़ की डाल की तरह ही 
पिता फलदार पेड़ होता है
जब चाहा हाथ बढ़ाया और पा लिया खा लिया 
पर जब फल हाथ नही आता है 
तो पेड़ पत्थर की मार भी सहता है 
बच्चे मारते नही पत्थर ,बस फल तोड़ते है 
जब फल नही मिलता 
तो पेड़ की तरफ कौन देखता है 
उसे छोड़ दिया जाता है उपेक्षित 
या काट कर कोने में डाल दिया जाता है 
की कभी शायद किसी काम आ जाए । 

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