मन रही है दीवाली
हर साल की तरह
कम होते गए घर से लोग
अब रह गए हम दो
लोगो के घरो में
बने है पकवान
मेरा बेटा भी होटल से
लाया है पकवान
लोगो के घरो में
सजी है रंगोली
मेरे बेटे ने भी
कुछ रख दिया है
जमीन पर
लोगो के बच्चे और बड़े भी
छोड़ रहे है पटाखे
मैं बिस्तर पर पड़ा
सुन रहा हूँ आवाजे
और
मेरा बेटा बाहर खड़ा
देख रहा है सबको फोड़ते
मेरे घर भी आई है मिठाई
पर पता नहीं क्यों
मिलने आने वालो की तादात
घट जाती हैं बुरी तरह
जब किसी पद पर नहीं होता हूँ मैं
हमने खरीदा है कुम्हार के बनाये
दिए और लक्ष्मी गणेश
थोड़ी सी खील और बतासे भी
ताकि इनको बनाने वालो की
कुछ मदद हो जाये
और
हार न जाये ये
देश के दुश्मन चीन से
और मन गयी
मेरी और मेरे बेटे की भी दीवाली ।
हर साल की तरह
कम होते गए घर से लोग
अब रह गए हम दो
लोगो के घरो में
बने है पकवान
मेरा बेटा भी होटल से
लाया है पकवान
लोगो के घरो में
सजी है रंगोली
मेरे बेटे ने भी
कुछ रख दिया है
जमीन पर
लोगो के बच्चे और बड़े भी
छोड़ रहे है पटाखे
मैं बिस्तर पर पड़ा
सुन रहा हूँ आवाजे
और
मेरा बेटा बाहर खड़ा
देख रहा है सबको फोड़ते
मेरे घर भी आई है मिठाई
पर पता नहीं क्यों
मिलने आने वालो की तादात
घट जाती हैं बुरी तरह
जब किसी पद पर नहीं होता हूँ मैं
हमने खरीदा है कुम्हार के बनाये
दिए और लक्ष्मी गणेश
थोड़ी सी खील और बतासे भी
ताकि इनको बनाने वालो की
कुछ मदद हो जाये
और
हार न जाये ये
देश के दुश्मन चीन से
और मन गयी
मेरी और मेरे बेटे की भी दीवाली ।