गुरुवार, 30 दिसंबर 2021

उतना अघाते है ।

कुछ बड़े लोग है
जो प्रेम और इज्जत से 
पहले घर बुलाते है 
फिर 
आहिस्ता से धीमे जहर का 
इंजेक्शन लगाते है 
आप जितना तड़पते हो 
वो उतना अघाते है ।

मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

देश को कायर बना दो

पूरे देश को कायर बना दो 
और 
सिखा दो कि 
बंद का आदेश होते ही 
बंद हो जाना है 
अपने अपने पिजडे मे 
ताकि निर्द्वन्द चर सके कुछ लोग 
मुल्क को चरागाह समझ कर 
और 
तुम बादशाह बने रह सको 
और हर पल पोशाक बदल कर 
देश के बदलने की 
डीँग हांक सको 
ताकि तुम अकेले 
महंगे जहाज 
और महंगी गाडी मे 
चल बता सको 
कि  
पूरा मुल्क अमीर हो गया है 
ताकि तुम 
सैकडो करोड के घर मे रह 
सबको ऐसे होने की बात कह सको 
ताकि 
हजारो करोड के नये दफ्तर की 
ऊंचाई से देख सको मुल्क 
जिसमे बस तुम और
तुम्हारे दरबारी ही दिखलायी पड़े 
और 
इश्तहार छप सके 
कि 
भारत तो चमक है तुम्हारी आँखो मे 
पर पर पर पर पर 
जाने ही देता हूँ 
क्योकी इतिहास मे 
कई बार हो चुका है ।

शनिवार, 25 दिसंबर 2021

इंतज़ार है इंतज़ार है इंतज़ार है

गर्म हवायें बहुत तपिश थी 
कितनी काली अंधियारी थी 
जुल्म ज़्यादती शोषण कितना 
और ग़ुलामी की ज़ंजीरे 
फिर वो रोटी बटी हर जगह 
गोली और धमाके गूंजे 
बिन तैयारी ही था सब कुछ 
थाली में थे गए परोसे ख़ुद के बेटे 
टुकड़े टुकड़े में ख़त्म हुआ सब 
हाँ गोली तो फेल हो गयी 
पर बोली को जगा गयी थी 
बहुत दिनो की चुप्पी थी फिर 
फिर गूंजा था जोश सभी का 
फिर आया था होश सभी को 
पर बाक़ी वो भूल नही की 
एक लँगोटी वाला आगे 
पीछे पूरा देश चला था 
ये हथियार कुछ नया नया था 
दुनिया हतप्रभ दुश्मन हतप्रभ 
इस हथियार का ना जवाब था 
पर जुल्मों का ना हिसाब था 
करो या मरो का नारा था 
चौरी चौरा ने रोक दिया ये 
फिर न कभी ये दोबारा था 
ना मारेंगे ना मानेगे 
युद्ध का नया ये नारा था 
सत्य अहिंसा का प्रयोग था 
सत्याग्रह और असहयोग था 
जिसका सूरज ना डूबा था 
चली अहिंसा डूब गया वो 
छटा अंधेरा सूरज निकला
आज हवाये कुछ ठंडी थी 
पर बँटवारे की आबाजे 
कान के पर्दे फाड़ रही थी 
धरती अपनी चिंघाड़ रही थी 
फिर फ़क़ीर ही निकला बाहर 
जान हथेली पर फिर लेकर 
कैसे कैसे थी शांति आयी 
पर बहुतो को कहा थी भाई 
वहाँ प्रार्थना हाथ जुड़ा था
आतंकी सामने खड़ा  था
जिसने कल तक साँस न ली थी 
उसने गोली खूब चलायी 
इंगलिश गोली इंगलिश पिस्टल
हाँ कायर को खूब थी भाई 
फिर से सूरज डूब गया था
फिर हवाये गर्म हुयी थी 
आज का मौसम फिर वैसा है 
वही अंधेरा वही कालिमा 
पर फ़क़ीर वो नही यहाँ है 
अब मौसम को कौन बचाए 
कौन उगाए फिर सूरज को 
ठंडी हवाये कौन चलाए 
इंतज़ार है इंतज़ार हाँ इंतज़ार है ।

बहुत दिनो से

बहुत दिनो से 
चिडिया ना चहकी आंगन मे 
बहुत दिनो से 
कोयल ना कूकी पेड़ो से 
बहुत दिनो से 
मोर नही नाचा सावन मे 
बहुत दिनो से 
ना फूल खिला है मेरे मन मे 
क्या है ये सब 
सफर अन्त का 
या मुरझाता मन 
तन तो भला भला दिखता है 
पर शायद मन घायल है 
बहुत दिनो से 
कोई गाना याद न आया 
बहुत दिनो से 
यादे भी तो कुंद पडी है 
बहुत दिनो से 
सारी घडिया बंद पडी 
बहुत दिनो से 
सभी खिड़कियां बंद पडी है 
दरवाजे से हवा रोशनी 
सब बाहर है 
बतियाए तो किससे आखिर 
खिसियाये तो किस पर आखिर 
सलवट जितनी है बिस्तर पर 
उससे ज्यादा मन कर भीतर 
बहुत दिनो से ।

और सोचने मे क्या जाता है

सोचता हूँ 
मैं फिर बच्चा हो जाऊ 
जो कुछ नही जानता 
सोचता हूँ 
उड़ जाऊँ नील गगन मे 
पक्षी बन कर 
सोचता हूँ 
खूब खाऊँ
परेशान हो जाऊँ 
सोचता हूँ 
खूब चलूँ 
और थक जाऊँ 
कि नीद आ जाये 
शान्त शान्त गहरी 
सोचता हूँ 
भाग जाऊँ 
अपने से दूर कही 
जहा कोई जानता न हो 
सोचता हूँ 
रम जाऊँ 
किसी भी इश्क मे 
की रश्क न रहे 
पर 
ये भी क्या जिन्दगी 
न ये किया न वो किया 
एलान कर दूँ 
कि सब किया हा सब किया 
सोचता हूँ 
फिर से 
पकड लाऊं 
खोया हुआ हमसफर 
और फिर बंद हो जाऊँ 
अपने दिल के राजमहल मे ।
और 
सोचने मे क्या जाता है ।

पिछले कई दिनो से

पिछले कई दिनो से 
गले की आवाज फंस गयी है 
ठीक से निकलती ही नही
पिछले कई दिनो से 
कलम चलती ही नही 
लगता है पन्ना फ़ट जायेगा 
पिछले कई दिनो से 
किबोर्ड पर उंगली टिकती ही नही 
लगता है 
किबोर्ड जोर से दब कर टूट जायेगा 
पिछले कई दिनो से 
नीद ठीक से आई ही नही 
पूरी रात कुछ खौलता रहता है 
पिछ्ली कई दिनो से 
खाने मे स्वाद नही है 
किसी तरह ठूस लेता हूँ 
और निगल लेता हूँ 
मैं लड़ रहा हूँ जंग खुद से 
पिछले कई दिनो से 
कब खत्म होगी ये जंग ? 

मंगलवार, 14 दिसंबर 2021

जवाब तुम दोगे

मेरा सवाल तुमसे है जवाब तुम दोगे 
मेरे मुल्क की गुरबत का हिसाब तुम दोगे
ये मुल्क सोने की चिड़िया हुआ करता था 
क्यो बिक रहा है सब  हिसाब तुम दोगे
तुम बादशाह हो हमारी मर्जी से वोटो से 
हमारा सौदा कैसे हुआ जवाब तुम दोगे
हमने तोड़ा था दुनिया औ पडोसी का गरूर
पडोसी घुस गया इसका जवाब तुम दोगे 
(कल पूरा करूँगा )

शरीर बेईमान है

ये शरीर भी कितना बेईमान है 
पर खुद को समझता महान है 
पर कही भी सरेंडर कर जाता है
कही अकड़ता कही शिथिल पड़ जाता है 
मच्छर भी काट ले तो बाप रे बाप 
कांटा भी चुभ जाये तो हाय ही हाय 
जरा सा टूट जाये तो औकात बताता है 
इश्क मे कदमो मे लेट जाता है 
नफरत मे अपनी औकात बताता है 
कितनी बड़ी बड़ी बाते बनाता है 
दूसरो से डरता है अपनो को सताता है 
बड़ी से बड़ी डीँग हाकता है 
मौका पडने पर लुढक जाता है 
जी हा पर शरीर तो शरीर है 
कोई मन ,दिल दिमाग और आत्मा तो नही 
जो इसे जैसे चलाते है वैसे चल जाता है 
शरीर बस पुतला है जिसमे दिल है 
शरीर एक अस्तित्व है जिसमे दिमाग है 
शरीर को बस शरीर ही रहने दो 
इसे कम्प्यूटर और गड़ित मत बनाओ 
इसका अपने दिमाग से प्रयोग करो 
और कुछ बुरा हो जाये यो भूल जाओ 
चलो शरीर का भरपूर उपयोग करो 
इसका जितना हो सके प्रयोग करो 
तभी शरीर शरीर रहेगा दौडेगा खेलगा 
जी हा इसकी भाषा को समझो तो 
फिर ये खूब खूब और बहुत खूब बोलेगा ।
अपने शरीर को खूब प्यार करो 
दूसरे के शरीर से भी मत इंकार करो ।
क्योकी शरीर नितांत क्षणभंगुर है जल जायेगा 
फिर क्या पता कब आप की किस्मत मे वापस आयेगा ।

गौरव के साथ चलते रहो ।

आप दलगत राजनीति छोड़ दे 
दल वाले आप को छोड़ देते है 
आप राजनीति छोड़ दे 
राजनीति वाले 
आप को छोड़ देते है 
आप नौकरी से बाहर 
तो वहाँ के रिश्ते खत्म 
आप काम के न हो 
और बोझ बन जाये 
तो सारे रिश्ते खत्म 
जी हा 
रिश्ते भी व्यापार है 
पूरा कारोबार है 
मुनाफे के साथ रहते है 
और घाटा छोड़ 
मुनाफे की तरफ बहते है 
ये मच्छर की तरह है 
जो लैम्प पोस्ट जल जाये 
सारे मच्छर उधर भाग जाते है 
आप का बुझ गया 
तो किस बात के नाते है 
इसलिए चाहे जो करो 
पयोगी रहो 
कही से भी तेल लाओ 
या बिजली 
पर जलते रहो 
फिर पूरी आभा 
पूरे गौरव के साथ चलते रहो ।

रविवार, 12 दिसंबर 2021

रिश्तो की डाल

पेड की डाले भी 
अपने पेड को भी 
घायल कर देती है 
कभी कभी 
जब चलता है 
कोई तेज अंधड़ 
तो
सबसे ज्यादा 
सबसे हल्के पत्ते 
साथ छोड़ते है पेड का 
फिर 
हल्की डाले टूट कर
अलग हो जाती है 
पर 
ज्यादा मजबूत डाल 
जो ज्यादा जुडी होती है 
खुद लटक जाती है 
और 
साथ ही छील देती है 
पेड के तने को भी 
जिससे जुडी होती है वो 
कई बार बहुत ज्यादा
मजबूत जुडी डाल तो
गिरती है तो 
पेड को चीर देती है 
बीचो बीच से 
फिर पेड कमजोर हो जाता है 
बच गया तो बच गया 
वरना दूसरा तेज अंधड़ 
पेड को भी जमीदोज कर देता है 
पेड की ये कहानी
जिन्दगी पर भी तो लागू होती है 
और 
इंसानी रिश्तो पर भी ।

शनिवार, 4 दिसंबर 2021

कल हो या न हो

खुशी आंखो मे भरो 
चाहे कितने आसू 
लटके हो 
खुशी दिल मे भरो 
चाहे कितना घायल हो 
खुशी इच्छाओ मे भरो 
चाहे दम तोड गयी हो 
खुशी बातो मे भरो 
चाहे 
अन्दर से खोखली हो चुकी हो 
और ठठा कर हंसो 
चाहे आवाज फंस रहो हो 
गमो को कुचल दो 
फिलवक्त और सो जाओ 
खुशी के एहसास के साथ
नीद के आने का पल जी लो  
क्योकी 
पता नही कल हो या न हो ।

बदबू न आये और कुत्ता वफादार रहे

नाम वाले अक्सर 
बहुत अकेले होते है 
उनका नाम होता है 
उनके अकेलेपन का कारण
और 
कई बात 
वो स्वयं शिकार होते है 
गलतफहमी के 
कितने पर्दे पर चमकने वाले 
मर गये लावारिश 
और 
वो प्रोफेसर साहब 
जिन्हे फख्र था 
कि 
हजारो उनके पढाये 
रहते है इस शहर मे 
और वो गाँव नही गये 
वही बस गये 
वो जो रहते थे 
अपने कुत्ते के साथ 
और वो हीरोइन भी तो 
ये सब मर गये लावारिश 
एक न एक दिन 
और 
पडोसियो ने भी नही देखा 
कि 
क्यो नही दिखे बाहर
खिडकी पर 
या बालकनी मे 
कई दिन से 
पर ये सच नही 
कि उन्होने नही देखा 
देखा पास जाकर 
सभी ने 
जब सब 
बदबू से परेशान हुये 
जो उठ रही थी 
सड़ी हुयी लाश से 
कितना प्यार करता था
उनका कुत्ता उनको 
और 
कितना बफादार था 
पर उसको भी 
भूख लगती है 
नही मिला भोजन 
तो खा लिया 
अपने प्यारे मालिक
या मालकिन को ही 
सचमुच कितना अकेला
हो गया है 
हर शक्स इस दुनिया मे 
किसी का कोई नही 
और नाम वाले तो 
खैर सचमुच 
बहुत अकेले होते है 
और अभिशप्त होते है 
लावारिश मौत के लिये
तब जो है ही अकेले
और सधनविहीन बेनाम भी 
वो तो और भी न जाने
किस किस चीज के लिये
अभिशप्त होते है
पर मौत से पहले 
बाहर निकल कर
चिल्ला सकने का मौका
तो होना ही चाहिए 
या 
सड़ने से पहले
शरीर और अंग 
दान दे देने का 
ताकि बदबू से पडोसी
परेशान न हो 
और 
अगर कुत्ता है साथ मे 
भूख के कारण 
उसकी वफादारी कलंकित न हो ।

अपने हिन्दूस्तान के लिये उठो

पहले अपने हिन्दूस्तान के लिये उठो 

ऐ पढने लिखने वालो उठो 
ऐ कविता करने वालो उठो 
ऐ नाटक करने वालो उठो 
सब मंच सजाने वालो उठो 
सब कलम चलाने वालो उठो 
सब दिमाग लगाने वालो उठो 
सब आवाज उठाने वालो उठो 
कि 
कोई तुमारे अनंत नील गगन 
और तारो को छीन न ले 
उठो की चन्द्रमा तुम्हारा ही रहे 
प्रेम के लिये प्रेरित करता रहे 
उठो कि सूरज पर 
कोई अधिकार न जमा ले
और वो सबको रोशनी देता रहे 
उठो की हवाए 
किसी की कैद मे न हो 
स्वतंत्र चलती रहे 
उठो की हरियाली 
किसी की जागीर न हो
सबकी हो 
उठो की फूलो को 
खिलने से रोका न जा सके 
और सब फूल सब रंग
गुलजार करते रहे बगीचे को 
उठो की नदिया 
कोई सोख न ले 
और वो बहती रहे निरंतर
स्वछ और निर्मल 
उठो की आज़ादी महफ़ूज रहे 
उठो की जम्हूरियत 
किसी की जूती न बने 
उठो की लव खामोश न हो 
उठो तो तुम्हारी धड़कन
और तुम्हारी सांसे 
तुम्हारी ही हो 
उठो कि दुनिया 
अब शमसान न बने 
उठो की चंगेज स्टालिन
हिटलर मुसोलिनी 
अब कोई इन्सान न बने 
उठो अपनी आन बान
शान के लिये उठो 
उठो मानवता और 
दुनिया के लिये उठो 
पहले अपने हिन्दूस्तान
के लिये उठो ।

बुधवार, 1 दिसंबर 2021

जो आये थे भिखारी बन कर मुझसे मांगने

जो आये थे भिखारी बन कर मुझसे मांगने 

मैं देखता रह गया वो मुझे कंगाल कर गया  

वो घिसी चप्पल में कितना मजलूम लगता था 

बड़ा मजबूर लगता था बडा मासूम लगता था 

जब मारा पीठ में खंजर मुझे बेहाल कर गया