शनिवार, 25 जून 2022

राम तुम मत आना

राम तुम मत आना

उन्होने कहा 
जय श्रीराम बोल
वो बोला 
जय श्रीराम 
उन्होने कहा 
हनुमान की जय बोल 
वो बोला 
हनुमान की जय 
वो जो कहते रहे 
वो बोलता रहा 
वो बोलता रहा
जय श्रीराम 
और 
हनुमान की जय 
और 
राम के भक्त 
उसे 
लगातार पीटते रहे 
जब तक 
वो बोलता रहा 
कितना दर्द हुआ होगा न
जब 
इतने लोगो ने 
इतने घंटो तक 
मारा होगा उसे 
क्या दर्द का 
बिल्कुल भी एहसास 
नही हुआ होगा 
उन लोगो को 
जो खुद को 
हिन्दू कहते है 
क्या सचमुच 
ये लोग हिन्दू है 
हिन्दू तो चींटी को 
बचा कर चलता है 
की 
कही मर न जाये 
ये कौन से हिन्दू है 
अब वो अब 
सांस ही नही ले रहा था 
तो 
उन्होने भी 
बोलना बन्द कर दिया 
जय श्रीराम 
और 
हनुमान की जय 
वो तो 
बोलने लायक ही नही बचा था 
भाग खड़े हुये 
राम का नाम लेकर 
वध करने वाले 
हा वध शब्द का ही 
प्रयोग किया था 
गांधी को मारने वालो ने 
और 
गोली खाकर 
गांधी ने भी तो कहा था 
हे राम हे राम 
नही 
ये अब हे राम नही 
बल्कि 
जय श्रीराम बोलते है 
ताकी कही गांधी के 
अनुयायी न कहलाये 
पर 
वो तो 
भाग ही नही पाया  
बिन बुलायी मौत से 
जो 
उस राम के नाम से आई 
जिसने 
अधर्म को खत्म किया 
धर्म के लिए 
पर धर्म के नाम पर भी 
कभी अधर्म होगा 
कहा सोचा होगा 
राम ने
जीते राज 
उन्होने युद्द मे 
पर 
दे दिये 
वही के लोगो को 
राज पाने के लिए 
उनके नाम का उपयोग होगा 
कहा सोचा होगा 
राम ने 
अब उसकी विधवा 
जो अभी 
जल्दी ही 
ब्याही गयी थी
अहिल्या की तरह 
पत्थर बन गयी है 
की 
कौन होगा 
अब सहारा 
किसके साथ बीतेगा जीवन 
कितना चीखी होगी वो 
उसकी बेजान लाश देखकर 
कई बार तो 
बेहोश हो गयी होगी 
फिर पानी डाल कर 
उठाया गया होगा उसे 
वो फिर पछाड़ मार मार 
गिर जाती होगी 
क्या 
उसे मारने वालो ने 
ऐसे दृश्य नही देखा होगा 
अपने घरो पर 
और 
नही देखा होगा 
विधवा हुयी किसी 
बहन और बेटी को 
अचानक 
और बूढे हो गये मा बाप को 
बेसहारा हो गये 
अबोध बच्चो को 
क्या नही आते वो दृश्य 
कभी 
इन लोगो की आंखो मे 
राम को भी तो 
बाँट दिया इन लोगो ने 
जो 
उसके खाने मे 
आते ही नही 
कि 
उम्मीद करे की 
इस युग मे भी 
आयेंगे राम 
और 
उद्धार कर देंगे 
उसकी बुत बन गयी 
विधवा का ।
वैसे भी राम 
अब आते ही कहा है 
चाहे 
कितना भी अधर्म हो 
पर 
अब तो राम 
खुद ही खतरे मे है 
क्या पता 
कि 
वो पढाये पाठ 
सही और गलत का 
धर्म और अधर्म का 
और 
उनका नाम लेने वाले 
उन्हे ही राम विरोधी 
और
राष्ट्र विरोधी बता दे
और 
जय श्रीराम का नारा
लगाती हुयी भीड़  
राम का ही बध कर दे 
इसलिये राम !
तुम बिल्कुल मत आना 
अपने भक्तो वाले 
इस देश मे 
और इस युग मे ।

शुक्रवार, 24 जून 2022

गोडसे को चमकाए जा रहे है ।

बाते बस बाते बनाये जा रहे है
मुल्क को बस सताए जा रहे है

जहन्नुम कर दिया चंद दिन में 
फिर भी मुस्कराये   जा रहे है

वादे क्या किये थे तब सभी से
पर अब किस्से सुनाये जा रहे है

कोविड कभी डेंगू से मर गये है 
और ये भाषण सुनाये जा रहे है
 
लाखो मजदूर निकले थे घरो से 
उन पर डंडा बजाये जा रहे है
 
चेहरे पर शिकन नहीं है जरा भी
मौत के कारण गिनाये जा रहे है

गांधी को रोशनी दुनिया ने माना
ये गोडसे को चमकाए जा रहे है ।

गुरुवार, 23 जून 2022

मैं मैं हुँ और तुम तुम हो ।

तुम पढ़ लो 
वो कविता 
जो 
मैंने लिखा ही नही 
तुम देख लो 
वो चित्र 
जो 
मैंने बनाया ही नही 
तुम बस जाओ 
उन साँसों में 
जो 
मैंने ली ही नही 
तुम आ जाओ 
मेरे घर में 
जो 
कही है ही नही 
पर 
तुम आ सकते हो 
सपने में मेरे 
जिसकी 
सुबह याद नही रहती 
छोड़ो सब 
आ जाओ 
और बैठ जाओ 
मेरे सामने ताकि 
निहार सकूँ मैं तुम्हें 
जब तक 
मैं मैं हुँ और तुम तुम हो ।

मंगलवार, 21 जून 2022

बरसें तो हरसे

आख़िर लखनऊ में भी मौसम की ग़रीबी से मुक्ति मिलती दिख रही है । आख़िर लखनऊ में भी आ गयी है बदली की कुछ टुकड़ियाँ 
आख़िर लखनऊ में हवाओ की तपिश हुयी ठंडी 
आख़िर लखनऊ में सूरज को परे धकेला दिया बदली ने 
पर ये बदली छलावा है या सचमुच भरी पूरी बदली 
ये तपती हुयी धरती को भिगो देगी भरपूर पानी से 
या फिर तवे पर छन्न की आवाज की तरह टपकेगी 
पर उम्मीदों ने एहसास को भिगो ही दिया है 
अब बरसे तो हम हरसे वरना फिर कुछ दिन तरसे । 

बुधवार, 8 जून 2022

ईश्वर क्या है ?

ईश्वर क्या है ? 
जो अज्ञात था है और रहेगा 
या 
प्रकृति ही ईश्वर है 
क्योंकि 
पत्थर पेड़ और 
विभिन्न पशु पक्षी को माना 
हमने ईश्वर ,
जो हमारा नुक़सान कर सका 
या 
जिससे हम डरे उसे माना ईश्वर 
फिर हम समझदार हो गए 
तो गढ़ने लगे ईश्वर के स्वरूप 
ईश्वर ने सब कुछ बनाया 
पर 
हम बनाने लगे अपने अपने ईश्वर 
ईश्वर एक डर है 
ईश्वर हमारा लालच है 
ईश्वर जीने की इच्छा है 
ईश्वर मौत का डर है 
ईश्वर हथियार बन गया हमारा 
ईश्वर व्यापार बन गया हमारा 
किसी ने नही देखा ईश्वर 
किसी से नही मिला ईश्वर 
पर 
डीह बाबा , सम्मो माई 
जियुतिया माई से लेकर 
संतोषी माता तक 
और 
साई बाबा से लेकर 
तमाम पत्थरों तक फैल गए ईश्वर 
फिर ईश्वर बनने का चस्का 
इंसानो में भी लग गया 
पहले सब डरते थे बुरा करने से 
जब ईश्वर अज्ञात था 
या 
उसके प्रतीक दुर्गम जगहों पर थे 
मनुष्य ने अपने स्वार्थ में गली गली 
चौराहे चौराहे पर बैठा दिया ईश्वर 
तो डर ही ख़त्म हो गया 
ईश्वर के ठेकेदारों ने निकाल दिए रास्ते 
हमेशा पाप और बुरा करो 
पर बीच बीच में कही नहा आओ 
पूजा करते रहो कराते रहो 
और जिसको जो ठीक लगे 
उस धर्म स्थान पर जाते रहो 
पाप धुल जाएगा 
और 
इस व्यवस्था से बढ़ने लगा पाप 
जब कोई एक रावण कंस जडीज था 
तो अवतार ले लेता था ईश्वर 
कहानिया तो यही बताती है 
पर जब बुरो की फ़ौज हो गयी 
तो 
अपने आसमान में छिप गया ईश्वर 
बेचारा किस किस से लड़े ईश्वर 
और 
किस शक्ल में आए दुनिया में 
कि लोग स्वीकार ले उसे ईश्वर 
क्योंकि 
इंसान ने गढ़ दिए है हज़ारो 
और 
ईश्वर से परिचय का दावा करने वाले 
ख़ुद भी बन बैठे है ईश्वर 
जिसे देखा ही नही 
उसे क्या मानना ईश्वर 
ओकसीजन आज ईश्वर है 
और 
उसके लिए पेड़ ईश्वर है 
पानी भी ईश्वर है 
जी हाँ प्रकृति ही ईश्वर है 
इसलिए मंदिर मस्जिद नही 
प्रकृति को बचाओ 
ईश्वर अल्ला जहाँ है वही रहने दो 
अपने बचने के ठिकाने बनाओ । 
ईश्वर कल्पना है 
उस पर कहानी और कविता खूब लिखो 
पर प्रकृति के साथ दिखो 
ईश्वर शक्ति है तो उससे डरो 
और कोई पाप मत करो 
ईश्वर के ईश्वर मत बनो 
बन सकते हो तो भागीरथ बानो 
नदियों को बचाओ 
देवस्थलो के बजाय 
जीवन स्थलो पर पैसा लगाओ 
देवस्थलों के बजाय पेड़ उगाओ
ईश्वर ख़ुश होगा और जीने देगा 
वरना एक दिन पानी भी नही पीने देगा ।