मंगलवार, 26 अगस्त 2014

कोई सवाल मत कर बस तू जिंदाबाद बोल

कोई सवाल मत कर बस तू जिंदाबाद बोल
कोई बवाल मत कर बस तू जिंदाबाद बोल
पेट  रख दे किसी सिद्धांत की किताब में तू
भूख ,ख्याल मत कर बस तू जिंदाबाद बोल |

वो समझते है कोई एहसान किये बैठे है

वो समझते है कोई एहसान किये बैठे है
दरअसल हमारा ही सामान लिए बैठे है |
हम तो लुटते रहे हर वक्त हर चौराहे पर
वो हर चौराहे पर ही दूकान लिए बैठे है |
हम बने सीढियां तो मीनार तक वो पहुचे
हम सीढ़ी रह गए वो भगवान् बने बैठे है |
बड़े बड़े थे वादे सबकी कहानी बदलेगी
हम पत्थर भी नहीं वो भगवान बने बैठे है |
लावारिश होते कई लोगो को हमने देखा है
स्वयंभू भगवान आज बे पहचान बने बैठे है |

इतना भी मत इतराओ की आज सूरज हो
सब दफ्न होते है वो शमसान हमने देखा है |
हमारा क्या जमी पर गिर के वही रह जायेंगे
आसमां से गिरे को लहूलुहान हमने देखा है |
कर सको तो नीव की ईंटो की भी क़द्र करो
वर्ना जमीदोज होते कई मकान हमने देखा है |


रविवार, 24 अगस्त 2014

एक चापलूस ने एक सरकार को जमीदोज किया

एक चापलूस ने एक सरकार को जमीदोज किया
लोग कहते है बहुत ख़ास है हमेशा साथ रहता है ।

मैं मर भी जाऊं तो क्या होगा

मैं मर भी जाऊं तो क्या होगा
शायद अगर हुआ तो
चार कंधे
कुछ लकड़ियाँ
और आग के शोले
कुछ क्षण की
कुच्छ सिसकियाँ
कुछ कहानिया
कुछ शिकायतें
कुछ झूठी अच्छाइयां
बहुत सी बुराइयाँ
क्या किया जीवन में
बेकार था कुछ न किया
जिम्मेदारियां भी छोड़ गया
नालायक था कुछ नहीं किया
बार बार बोर होकर भी
दोहराई जाती वही कहानियां
उठावनी हो गयी
घर वालो का बोझ कुछ कम हुआ
लो तेरही भी आ गयी
ये भी खर्च कवाएगी
कोई रिश्तेदार रुक न जाये
चलो सब चले गए
अब देखो कहां क्या क्या है
बाट लो किसका क्या है
और
चल पड़ेगी जिंदगी
अपने अपने रस्ते पर
एक कोने में टंगी तस्वीर
साल में एक बार शायद
बदलेगी माला
और हाथ जोड़ कर भागते हुए लोग
आज तो देर हो गयी इस चक्कर में
पता नहीं क्यों बने है ये रिवाज
इसलिए
मेरे लिए मेरी वसीयत है
की
कोई नहीं रोयेगा
बिजली में जला देना मुझे
किसी नदी में नहीं बहाना मुझे
मैं नहीं मानता कोई पूजा इसलिए
न कोई पूजा और न उठावनी तेरही
अगले ही पल से सब खुश रहो
और अपनी जिंदगी जियो
मेरे लिए न कभी कोई पारेशान हुआ
न किसी को होना है
वर्ना मैं परेशान हो जाऊंगा
कुछ नहीं है मेरे पास
की कोई लडे की किसका क्या
बस मेरी यादे कभी क्रोध लायेंगी
की नालायक बाप ने कुछ नहीं किया
यही मेरी वसीयत है ।
मैं चला जाऊंगा तो भी
कुछ नहीं होगा
सब जैसे था वैसे ही चलेगा ।
बस मेरा आशीर्वाद ही मेरी वसीयत है
जो किसी काम नही आएगी
इसलिए मैं रहूँ या न रहूँ
कोई फर्क नहीं पड़ता
दुनिया ऐसे ही चलती है ।
और मैं भी चुपचाप ऐसे ही चला जाऊंगा
शायद लावारिश होकर
की किसी को कोई कष्ट ही न हो ।