अन्दर इतना तूफ़ान सा क्यो है
मन इतना परेशांन सा क्यो है
न कोई बात है,न कोई भाव ही
दर्द इतना मेहरबान सा क्यो है |
दर्द मन में,दिमाग में,लहू में भी
दर्द तन में,दिल औ वजूद में भी
दर्द साँस ,धड़कन औ रूह में भी
ये दर्द हुआ आसमान सा क्यूं है |
मन इतना परेशांन सा क्यो है
न कोई बात है,न कोई भाव ही
दर्द इतना मेहरबान सा क्यो है |
दर्द मन में,दिमाग में,लहू में भी
दर्द तन में,दिल औ वजूद में भी
दर्द साँस ,धड़कन औ रूह में भी
ये दर्द हुआ आसमान सा क्यूं है |