शनिवार, 12 जुलाई 2014

लो अब मैं चला तुम खुश तो हो

लो अब मैं चला तुम खुश तो हो
आज सूरज ढला तुम खुश तो हो
देखो बंद हुयी मेरी जुबान आज
बोलने से परेशांन थे खुश तो हो|

सच दो लफ्ज और झूठ भारी है
झूठ हुआ आसमान खुश तो हो
झूठ और लुट तुम्हारे मेहमान है
और जनता बेजुबान खुश तो हो|

ये आदमी नागिन बन गया यारो
नाग है परेशांन तुम खुश क्यों हो
मैं चला तुम्हारी दुनिया छोड़ कर
न जहर न एहसान तुम खुश तो हो

कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें