वो रेगिस्तान का हिरन देखा है क्या
लगातार भागता और फिर दम तोड़ता
उसे हर थोड़ी दूर पानी दिख रहा था
और पानी और थोड़ी दूर हो जा रहा था
कई प्रेमी भी ऐसा ही हिरन होते है
और उनका प्यार रेगिस्तान का पानी ।
पहचान उन सभी का मंच है जो जिंदगी को जीते नहीं जीने का निर्वाह करते है .वे उन लोगो में नहीं है जिन्हें जीवन मिला है या जीने का मकसद उनके साथ रहता है .बस जीने और घिसटने के बीच दिल वालो की कलम से और दिल से जो निकल जाता है वही कविता है .पहली कविता भी तों आंसू से निकली थी .आंसू अपने दर्द के हो या समाज के ,वे निकलेंगे तों कविता भी निकलेगी और वही दिलवालो की ;पहचान ;है