मंगलवार, 18 जून 2013

पर बहुत कुछ टूट जाता है ।

देखा
बादल का फटना .
वैसे ही दिल फटता है
और मच जाती है तबाही
ये जो बारिश है
जिसमे बह रहा है सब कुछ
ये किसी के दर्द का एहसास
किसी के आंसू तो नहीं
देखो कितनी ताकत होती है
आंसू में ,दर्द में ,
की बस
तबाही ही आ जाती है
कही पृथ्वी पर तो
कही जीवन में
किसी को मत तोड़ो इतना
की फिर सम्हाल ही न सको
कुछ भी
अच्छी नहीं होती है तबाही
कैसी भी
जब कोई बहुत अपना
तोड़ देता है तो
आवाज नहीं होती है
पर बहुत कुछ टूट जाता है ।

किसी को ऐसे अपने न मिले ।

कभी कभी ऐसा
कैसे हो जाता है
कोई जो बहुत ही
प्रिय रहा हो आपको
उसी से घृणा हो जाये
आपको अति घृणा
उसको देखते ही
खौलने लगे आप
और ऐसा लगे की
आपका अस्तित्व
ही मिट जायेगा
उसी के कारण
कितना बदकिस्मत
होता है वो
जो अपने बहुत
अपने के द्वारा
ऐसी हालत में
पहुंचा दिया गया हो
क्या आप किसी
ऐसे को जानते है
क्या हाल है उसका
वो जी रहा है या
फिर मरा हुआ सा है
ऐसे अपनों से तो
दुश्मन अच्छे होते है
जो चौकन्ना रखते है
आपको और चेतन भी
ऐसी जिंदगी का क्या
आप घुट घुट कर
न जी रहे और न मर रहे ।
बस कुछ हो जाने का
इन्तजार कर रहे ।
किसी को ऐसे अपने न मिले ।


शनिवार, 15 जून 2013

सच में मैं रो नहीं रहा हूँ

मेरी आँखों से अक्सर 
आंसू आने लगते है
बिना किसी कारण और
दिल से निकलने लगती है
हिचकियाँ
कोई कारण नहीं होता है
सच कह रहा हूँ ।
मैं दबा डेता हूँ हिचकियाँ 
और छुपा लेता हूँ आंसू 
ताकि कोई खुद को 
उनका जिम्मेदार न समझ ले
अभी भी गीला हो गया है
पता नहीं क्या क्या
पर सच में मैं रो नहीं रहा हूँ 
बल्कि शायद मेरी आँख में 
कुछ चला गया होगा
तभी लागतार निकल रहा है 
ये खारा पानी 
जो मेरा स्वाद भी बिगाड़ रहा है ।
अब मैं कस कर भींच ले रहा हूँ खुद को 
फिर आवाज़ कही सुनायी नहीं पड़ेगी 
और ये खारा समुद्र भी सूख ही जायेगा 
थोड़ी देर में ।
सच में सच कह रहा हूँ मैं ।
मैं रो नहीं रहा हूँ ,सच में ।