मंगलवार, 18 जून 2013

पर बहुत कुछ टूट जाता है ।

देखा
बादल का फटना .
वैसे ही दिल फटता है
और मच जाती है तबाही
ये जो बारिश है
जिसमे बह रहा है सब कुछ
ये किसी के दर्द का एहसास
किसी के आंसू तो नहीं
देखो कितनी ताकत होती है
आंसू में ,दर्द में ,
की बस
तबाही ही आ जाती है
कही पृथ्वी पर तो
कही जीवन में
किसी को मत तोड़ो इतना
की फिर सम्हाल ही न सको
कुछ भी
अच्छी नहीं होती है तबाही
कैसी भी
जब कोई बहुत अपना
तोड़ देता है तो
आवाज नहीं होती है
पर बहुत कुछ टूट जाता है ।

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