देशभक्ति की बात कितनी अच्छी लगती है
पर फाइलो मे उनकी तुम ताक मत लेना
वेश्याओ के घर बस बदनाम बहुत है
पर शरीफो की खिड़कियो मे झाँक मत लेना ।
पहचान उन सभी का मंच है जो जिंदगी को जीते नहीं जीने का निर्वाह करते है .वे उन लोगो में नहीं है जिन्हें जीवन मिला है या जीने का मकसद उनके साथ रहता है .बस जीने और घिसटने के बीच दिल वालो की कलम से और दिल से जो निकल जाता है वही कविता है .पहली कविता भी तों आंसू से निकली थी .आंसू अपने दर्द के हो या समाज के ,वे निकलेंगे तों कविता भी निकलेगी और वही दिलवालो की ;पहचान ;है