बुधवार, 16 जुलाई 2014

अन्दर इतना तूफ़ान सा क्यो है

अन्दर इतना तूफ़ान सा क्यो है
मन इतना परेशांन सा क्यो  है
न कोई बात है,न कोई भाव ही
दर्द इतना मेहरबान सा क्यो है |

दर्द मन में,दिमाग में,लहू में भी
दर्द तन में,दिल औ वजूद में भी
दर्द साँस ,धड़कन औ रूह में भी
ये दर्द हुआ आसमान सा क्यूं है |







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