मंगलवार, 21 जून 2022

बरसें तो हरसे

आख़िर लखनऊ में भी मौसम की ग़रीबी से मुक्ति मिलती दिख रही है । आख़िर लखनऊ में भी आ गयी है बदली की कुछ टुकड़ियाँ 
आख़िर लखनऊ में हवाओ की तपिश हुयी ठंडी 
आख़िर लखनऊ में सूरज को परे धकेला दिया बदली ने 
पर ये बदली छलावा है या सचमुच भरी पूरी बदली 
ये तपती हुयी धरती को भिगो देगी भरपूर पानी से 
या फिर तवे पर छन्न की आवाज की तरह टपकेगी 
पर उम्मीदों ने एहसास को भिगो ही दिया है 
अब बरसे तो हम हरसे वरना फिर कुछ दिन तरसे । 

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