मंगलवार, 21 जनवरी 2020

संघर्षो का अन्त ।

सुना है कि 
कृष्ण ने 
द्रौपदी की साड़ी 
इतनी लम्बी कर दी 
कि 
उसका छोर ही नही था 
सुना है कि 
हनुमान की पूँछ का भी                       
कोई छोर नही था         
पर 
कही तो अन्त हुआ ही होगा 
उनका उस दिन नही 
तो अगले दिन 
लेकिन 
कुछ लोगो के संघर्षो का                              
कोई अन्त ही नही होता 
वो लड़ते रहते है 
बचपन से बुढापे तक 
और 
नितांत अकेले 
एक दिन थक कर सो जाते है 
चिरनिद्रा मे 
तभी होता है उनके                             
संघर्षो का अन्त ।

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