गुरुवार, 17 मई 2012

वो समझा था कि वो सिकंदर है

वो समझा था कि वो सिकंदर है
पर समझा की सब मुकद्दर है ।
बड़ी देर लग गयी जान पाने में 
ये जानने में सामने समंदर है ।
क्या जानेंगे हम बाहर क्या  है 
जब जानते नहीं क्या अन्दर है । 
वो है मेरी है भी और नहीं भी है 
ये वो जाने सब उसके अन्दर है । 
बातें होती है तो बहुत बातें होती 
बातों का मतलब जाने  इश्वर है ।
मै कहना चाहता हूँ चाहत अपनी 
सोचता हूँ आँखे बोलें जो अन्दर है ।
वो क्या नासमझ है नहीं समझते है
मै क्या कहूँ की दिल में समन्दर है ।
लगता है जिंदगी यूँ ही बीत जाएगी 
वो भी अकेले है अकेला मेरा घर है । 



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