रविवार, 31 मई 2015

उदासी

बहुत उदास है दिन
राते तो उदास ही है
काफी दिनों से
पर आगोश में नीद के
उदासी खो जाती है कही
पर दिन की उदासियाँ
और एकाकीपन
इनसे जूझना नहीं आता
अपने से भाग जाने की
कला नहीं सीख पाया मैं
अभिमन्यु की तरह
एक कला से महरूम
रह गया मैं भी
वो चक्रव्यूह तोड़ने को
था आतुर
और मैं तलाश रहा हूँ
कोई चक्रव्यूह
जिसमें एकाकीपन और
उदासी का एहसास न हो ।

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