कैसे दिन आये इतना झुक जाना पड़ता है
कैसो कैसो के आगे शीश नवाना पड़ता है
दादा बोले थे कि किसी के आगे ना झुकना
सबके ही आगे हमको भोग लगाना पड़ता है
नहीं झुके बढ़ जाएगी बुरी तरह पीड़ा अपनी
और झुके तो आत्माँ को मर जाना पड़ता है
नहीं झुके बढ़ जाएगी बुरी तरह पीड़ा अपनी
और झुके तो आत्माँ को मर जाना पड़ता है
वो राजा राज उनका हम परजा पीड़ा अपनी
दर्शन दे दे इसका एहसान चुकाना पड़ता है
मुगलों का राज गया अंग्रेजो का डूबा सुरज
जहागीर का घंटा तो सबको बजाना पड़ता है|
कैसो कैसो के आगे शीश नवाना पड़ता है
दादा बोले थे कि किसी के आगे ना झुकना
सबके ही आगे हमको भोग लगाना पड़ता है
नहीं झुके बढ़ जाएगी बुरी तरह पीड़ा अपनी
और झुके तो आत्माँ को मर जाना पड़ता है
नहीं झुके बढ़ जाएगी बुरी तरह पीड़ा अपनी
और झुके तो आत्माँ को मर जाना पड़ता है
वो राजा राज उनका हम परजा पीड़ा अपनी
दर्शन दे दे इसका एहसान चुकाना पड़ता है
मुगलों का राज गया अंग्रेजो का डूबा सुरज
जहागीर का घंटा तो सबको बजाना पड़ता है|
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें