रविवार, 21 जून 2015

हमको बस हिंदुस्तान समझ लो ।

मस्जिद और मंदिर हो गया
मंडल और कमंडल हो गया
जातिवाद और गोत्र हो गए
प्रान्तवाद और क्षेत्र हो गए
सबकी ही सरकार बन चुकी
सबकी नीतियां देख चुके सब
संघ को देखा जनसंघ देखा
कांग्रेस और भाजपा को भी
सपा को देखा बसपा को भी
साम्यवाद को देख चुके सब
और क्षेत्रवाद के डंडे को भी
पर किसान को मरता देखा
औ नौजवान को मरता देखा
गरीब की खाली थाली देखी
घर में जलती घर वाली देखी
कही पर बेटी फिकती देखी
या फिर इज्जत लुटती देखी
यहाँ बेकारी को बढ़ता देखा
और बीमारी में  सड़ता देखा
फुटपाथो पर भी सोता देखा
और चौराहों पर रोता देखा
धनवालो को ही बढ़ता देखा
अधिकारी औ नेता व्यापारी
ये भी देजा और वो भी देजा
जी भी काम हो जो भी ठेका
सबका ही सूरज चढ़ता देखा
बेटी बिना पैसे कुंवारी देखी
बिन पानी सूखी क्यारी देखी
भूख गरीबी और शिक्षा बेकारी
का अब कोई नारा नहीं लगाता
नैजवान हो या कोई किसान हो
इन्हें अब कोई भी नहीं जगाता
जिस दिन खुद ये उठ जायेंगे
अपने हक़ के लिए जुट जायेंगे
समझा है कि तब क्या होगा
इतिहासों में ये दर्ज बहुत है
इन सबको अब दर्द बहुत है
अब तुम अपनी चाले छोड़ो
पूँजी से तुम अब मुह मोड़ो
मंदिर छोडो मस्जिद छोड़ो
मंडल और कमंडल छोड़ो
जाती धर्म के झगडे छोड़ो
अब इसानों से नाता जोड़ो
अब नारे हो या हो भाषण
सबके घर पहुचाओ राशन
अब बीमारी से जंग छेड़ दो
अब बेकारी से जंग छेड़ दो
नहीं अमीर को हमने रोका
पर अब गरीब न कोई होगा
अब कोई नहीं निरक्षर होगा
ना ही कोई टूटा छप्पर होगा
अब उंच न होगा नीच न होगा
अब ना ये चौड़ी खायी होगी
अब न टूटा हुआ इंसान होगा
अब न ही जीवन में काई होगी
मुट्ठी बांधो औ संकल्प मांज लो
परिवर्तन की हर राह साज लो
ये मुल्क और इसका सब कुछ
जीतना तेरा है उतनी ही उनका
अब गर गरीब ने जान लिया ये
अब सब पाना है ठान लिया ये
तब क्या होगा वो वैभव वालो
तुमने क्या ये सब भी सोचा है
बहुत हो गया अब तुम बदलो
अब सब झूठे नारे झूठे वादे
और झूठे कागज की दीवारे
तुम भी टूटोगे ये सब टूटेंगी
अब हो किसान के सूखे खेत
या नौजवान की कोरी डिग्री
अभी वक्त है अब भी सुन लो
इसमें तो कुछ आवाज और है
इन कदमो का अंदाज और है
झंडा कोई हो, कैसा भी भाषण
उसको तो बस रोटी से मतलब
तुम बदलो कितने कुरते सदरी
उसको बस नौकरी से मतलब
छत ऊपर औ ढका हुआ तन
स्वास्थ्य सुरक्षा और शांत मन
बस इतना ही तो सब माँगा है
ये लाल किला हो तुम्हे मुबारक
बडी कोठियां और जहाज भी
धन दौलत और या ये राज भी
सोने की रोटियां तुम्हे मुबारक
हमको बस इन्सान समझ लो
किसकी जाति क्या कौन धर्म है
हमको बस हिंदुस्तान समझ लो ।

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