शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

इसीलिए आज बाजार में हूँ ।और बिकने वाले हर इश्तहार में हूँ ।

सुनो सुनो सुनो ,
कोई मुझे भी खरीद लो
जी बिकाऊ हूँ मैं
जैसा भी हूँ
पर आज बाजार में हूँ
बाजार का युग है
इतना खोटा भी नहीं कि
मेरी कुछ कीमत ही नही 
बोली तो लगाओ
कही से तो शुरू करो
चलो तुम रोटी से शुरू करो
चुपड़ी नहीं रूखी ही सही
और तुम कपडे से
उतरन भी चलेगी
तुम नीद की जगह दोगे
पर नीद कौन देगा
पर बोलो ,जो चाहो बोलो
इतना सस्ता इमांन कहा मिलेगा
इतना सस्ता ज्ञान कहा मिलेगा
और
आज इंसान कहा मिलेगा
तो बताओ कौन खरीदेगा मुझे
जी हा
कसम खुदा की मैं बाजार में हूँ
खरीद रहे हो बेपनाह हुस्न
लोगो के इमांन
जनता के रहनुमा
तो मुझमे क्या कमी है
ईमान से डर लगता है
या फिर
इंसान से डर लगता है
अरे नहीं
बिकाऊ है आज ये भी
कोई तो बोलो
मेरे इंसान और ईमान को
कोई तो सिक्को में तोलो
कोई नहीं बोलोगे
तो रो पडूंगा मैं बेबसी पर
फिर
आंसू तो बिलकूल नहीं खरीदोगे
अब हुस्न कहा से लाऊँ
मैं भी दल्ला हो सकता हूँ
ये कैसे समझाऊँ
या फिर ये बनी हुयी इमेज
मिटा के आऊँ
तो उसके लिए
किस लॉन्ड्री में जाऊं ।
कोई तो खरीद लो न मुझे ।
जी हां मैं आज बिकाऊ हूँ
और
इसीलिए आज बाजार में हूँ ।
और
बिकने वाले हर इश्तहार में हूँ ।

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