ये जो लोग
रोज पढते है
नई किताबे
रोज लिखते है
कोई कविता
गजल या कहानी
और
नये नये किस्से भी
कितने
सुखी लोग है वो
कितने निश्चिंत
कितने बेपरवाह
और
रच देते है
रोज कुछ नया
पर
जो खुद को ही
जिन्दा रखने
के जतन मे
बिता देते है दिन
वो जिन्दा है
ये भी तो रचना है ।
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें