शनिवार, 26 सितंबर 2020

छीन लिया जिन्दगी से जिन्दगी

बारिश की छुवन 

सुबह से हो रही है 
लगातार 
मूसलाधार बारिश 
नही निकला 
मैं घर से आज 
झाँक रहा हूँ 
खिडकी से लगातार 
कभी जाकर 
खड़ा हो जाता हूँ 
दरवाजे पर 
और 
हाथ बाहर निकाल कर 
महसूसता हूँ 
बारिश की छुवन को 
और 
यादो की 
किसी छुवन को भी 
बारिश ने भिगो दिया है 
यादो की चादर को 
कभी कांन मे 
एक आवाज आती है 
अब तो आप को 
गरम हलुवा 
और 
पकौड़ी चाहिये न 
कितने कप बना दूँ 
चाय या काफी 
वरना फिर कहेंगे 
कि 
हलुवा खाते खाते 
और 
उसके बाद कहेंगे 
कि 
पकौड़ी खाते खाते 
ठंडी हो गयी चाय तो !
इसलिए एक बार ही 
बना कर ले आते है 
थर्मस मे 
और 
पकौड़ी आलू की 
या 
और चीजो की भी ? 
चौक कर देखता हूँ 
कांन बेकार हो गये है 
आप के जाने के बाद 
हर वक्त जब तक 
सो नही जाता हूँ 
आप की तमाम आहटे 
पर सच तो 
वैसे 
आप के जाने के बाद 
बेटी ने भी पूरी तरह 
आप का सिखाया निभाया 
जब भी बारिश होती 
वही बरामदा वही कुर्सिया 
और 
वो लेकर आ जाती 
वही सब कुछ
कुछ कुछ वही स्वाद 
खुली आंखो का सपना 
टूट गया 
उठा धीरे से 
डगमगते कदमो से 
और 
बिजली के केतली मे 
गरम कर दिया पानी 
उसमे डाल दिया 
एक रेडीमेड चाय का पाउच 
ले लिया 
एक मुट्ठी मे चना 
और 
आकर बैठ गया हूँ 
बारिश के सामने 
दरवाजा खोल कर 
और 
महसूस कर रहा हूँ 
वही सब 
कितनी यादो के थपेडे 
दस्तक दे रहे है आज ।
बिल्कुल चिंता मत करिये 
हम बहुत अच्छी तरह है
और 
बहुत खुश है ।
देखिये न बारिश मे 
चाय लिए बैठे है 
पकौडे और हलुवा 
अब अच्छा नही लगता 
वरना 
वो भी बना ही लेते ।
आइये 
थोडा बारिश मे भीगा जाये 
नही नही 
नुक्सान कर देगी ये बारिश 
बीमार कर देगी 
एक ही बीमारी क्या कम 
जो छीन ले गयी 
जिन्दगी से जिन्दगी ।

कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें