शनिवार, 27 नवंबर 2021

खाली हाथ बिना जेब जल जाना है

आज शमशान घाट पर 
बैठा देख रहा था 
और सोच रहा था 
जीवन का सच 
वो पैसे के पीछे भागते रहे 
बहुत कमाया 
पर 
जीवन तो नही बचा पाये 
उन्होने लकडी ली ढेर सारी 
और 
घी के कनस्तर के कनस्तर उडेल दिये 
पर चिता बड़ी मुश्किल से 
बड़ी देर मे जली 
और 
वो बस किसी तरह जला पाया 
पर चिता धधक कर जल उठी 
कितने कन्धे थे उसके साथ जो गरीब था 
पर सिर्फ नौकर साथ थे 
जो अमीर था 
शमशान भी समाज का आइना है 
कोई औरत या बेटी अकेली 
या दो ले आते है अपने को 
ठेल पर डाल कर 
और 
गिड़गिड़ाते है मदद को 
तो किसी की भीड
भर देती है शमशान को 
यद्द्पि जलते दोनो है 
लकडी मे 
पर 
किसी के पास चन्दन 
तो किसी के पास कुछ भी नही 
शमशान भी गैर बराबरी का स्थान है 
समाज दिखता है यहा 
और समाज का सच 
जिन्दगी का सच तो होता ही है 
कि 
खाली हाथ बिना जेब 
नंगे जल जाना है यहा सभी को ।

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