#फ़्रीडम_इस_नाट_फ़्री —-
सत्ता ने कहा मीडिया से
थोडा झुक जाओ
पर कुछ घुटने के बल चलने लगे
और
आधिकतर तो लेट कर रेगने लगे ।
और
इस तरह चौथा खम्भा लेटकर खुद
सत्ता के रास्ते की पगडंडी बन गया ।
सत्ता ने कहा व्यव्स्थापिका से
हद मे रहो
और
वो संगम की जमुना हो गयी
और
कार्यपालिका रूपी गंगा मे विलीन हो गयी
तीसरा खम्भा भी सरस्वती की तरह
भीतर भीतर घुल-मिल रहा है
अब सब खम्भो की जिम्मेदारी
खुद जनता के कन्धो पर है
क्योकी आज़ादी मुफ्त मे नही मिलती
फ्रीडम इस नॉट फ़्री ।
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