बुधवार, 17 मई 2023

फट न जाये अस्तित्व ही ।

चाहे तो दमघोटू कविता पढ़िए ----

क्या कभी आपने महसूसा है 
की 
बाहर घनघोर सन्नाटा हो 
और 
अंदर दमघोटू और इतना शोर 
की 
लगता है नसे ही नही 
शरीर की कोशिकाएँ भी 
फट पड़ेंगी 
नही हो सकती इससे बड़ी सज़ा 
फांसी में 
एक झटके से मुक्ति मिल जाती हैं 
और 
अजीवन कारावास में भी 
लोगो का साथ 
पर ऐसी सज़ा कल्पनातीत है 
पता नही 
किसी को इस सज़ा का एहसास है 
या नही 
इससे ज्यादा लिखा नही जा सकता 
इस विषय पर 
जेल से भी पेरोल मिल जाती है 
जिंदगी में भी 
कोई पेरोल की व्यवस्था हो सकती है 
कौन मुक्ति देगा इससे 
मुक्ति मिलेगी भी या नही ।
या 
सन्नाटा और 
अथाह लहू में बहता शोर 
साथ साथ चलते रहेंगे 
जब तक 
फट न जाये अस्तित्व ही ।

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