शनिवार, 16 सितंबर 2023

मेरी राहो में कांटे जिसने भी बिछाये

मेरी राहो में कांटे 
जिसने भी बिछाये 
जब वो मेरे पांव में चुभे 
और 
जोर से चीखा मैं दर्द से 
जरूर उनके कानो के 
परदे भी हिले होंगे
और दुख रहे होंगे अभी तक 
दोस्त 
मेरा घाव शायद जल्दी भर जायेगा 
क्योकी बेजान कांटे से हुआ है 
पर तुम्हारा नहीं भर पायेगा जल्दी 
क्योकि 
इंसानी चीख से घायल हुए हो तुम ।
इंसान की जब भी निकलती है चीख 
या कराह 
वो छलनी कर देती है अंदर तक 
और दीखती भी नहीं 
पर 
अचेतन में हथौड़े की तरह 
चोट करती रहती है जिंदगी भर ।

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