जिन्दगी सिर्फ तुम्हारी नही
लोग आत्महत्या कैसे कर लेते है
कितना तकलीफदेह होता है
जान कर जान देना
जहर पिया तो उसका डर
गोली चलाने मे कांपते हाथ
और
उसके दर्द का एहसास
नस काटी तो दर्द
और
बहते खूँन की दहशत
और
फासी लगाया तो कितनी हिम्मत
गर्दन लटक जाने
सांस घुट जाने की तकलीफ ।
कैसे हिम्मत आती है
और
कर लेने के बाद
आखिरी क्षणो मे
सब किया वापस हो जाये
का ख्याल आता है क्या
क्या तब जिन्दगी से
प्यार महसूस होता है ?
क्या तब इच्छा होती है
कि
लड़ले अंतिम लडाई पर ये नही ।
क्या ये क्या वो
पर ये सब बतायेगा कौन ?
न ये न वो ।
और
पीछे छूटो का दर्द
असहाय स्थिति
अनिश्चित कल
और
मौन मौन बस मौन ।
मत करो ऐसा
जिसका कोई जवाब नही
जिसका कल कोई हिसाब नही ।
लडो और खूब लडो
क्योकी जिन्दगी सिर्फ तुम्हारी नही
अपनो की भी अमानत है ।
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