शनिवार, 24 फ़रवरी 2024

जीवन केवल मृग मरीचिका है

जीवन केवल मृग मरीचिका है 
विचार कुलांचे भरते रहते है 
रेगिस्तान के पानी के 
एहसास के साथ 
भागता रहता है इंसान 
और 
पानी के लिए तड़प 
दौड़ाती रहती है 
यहां से वहां तक
वहां से वहाँ तक ।
कोई साथी हो 
जो चिकोटी काट कर 
यथार्थ के धरातल पर उतार दे 
और 
वो भी नही है 
तो भटकन अनन्त है ।

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