शनिवार, 14 अगस्त 2010

कमल हँसता था आज रो रहा है

कमल हँसता था, आज रो रहा है
हँसता था तों खूब हँसता ही रहता था .
एक दिन इंसानों कि तरफ देखा और
मुस्कराया, कमल
लगा ! वो अपने को गर्व से देख रहा है
चुभ रहे थे उसे भौरे के डंक पर
वो मुस्करा रहा था
वो बोला तुम लोग भी पैदा होते हो
फिर मर जाते हो ओर मै भी.                                                                                                         
पर तुम पैदा होते हो तों
सबको अच्छे नहीं लगते 
अगर लड़की पैदा हुए तों
बहुतो को अच्छे नहीं लगते
पता चल गया तों पेट में, नहीं तों
पैदा होते ही मार दिए जाते हो
हम पैदा होते है तों धीरे धीरे मुस्कराते है
फिर हसते है खुलकर .
हमें देख कर लोग खुश होते है .
हम डंक सह कर मकरंद देतें है कि
लोगो को जीवन मिल सके
लेकिन तुम हसते हो नकली और
डंक मार देते हो किसी को
पैदा हुए खाया पीया और मर गए बस .
तुमने लोगो को दिया क्या ,
समाज और मानवता के लिए किया क्या .
पैदा हुए अपने लिए ,जिए अपने लिए
और मर गए .छी; तुम्हारा जीना .
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आज रो रहा है कमल कि मै मकरंद और
सौंदर्य का अहसास दोनों देता हूँ  .
पर किसे पकड़ा दिया मुझे ?
जो समाज में वैचारिक बदबू फैलाते है
और फैलाते है दंगे .
जो कुर्सी कि खातिर कि सब कुछ करते है .
देखा उनका वो रूप जब वो
भगवान का नाम लेकर आये
और पूरे देश में दंगे ही दंगे करवाए .
जब आग में जली  बस्तिया और
शहर ,गाव और हर नगर .
चारो तरफ आग ,चीखे ,मौत ,
लूट पाट और धुँआ ही धुँआ .
जब औरत के पेट से
चार महीने का बच्चा निकला ,
उसे तलवार पर उछाला तों
मै बहुत रोया .
जब लडकियों के कपडे उतारे ,
शीशो पर नचाया था
भगवान का नारा लगाया तों
मै भी चिल्लाया था
क्या क्या बताऊ ,क्या क्या सुनाऊ
सब सब जानते है .
मुझे उगाना ही था तों
इनके गंदे विचारो और
अंधे संस्कारो के कीचड में क्यों उगाया .
मेरी खुशबू डूब जाती
इनके बदबूदार नारों में .
मेरी मुसकराहट गुम हो जाती है
इनके कर्मो को देख कर .
मै भाग नहीं पता हूँ ,इन्होने
मुझे अपने झंडे में चिपका दिया है .
मै रो रो कर सबसे विनती कर रहा हूँ
कोई तों मुझे  बचाओ .
मुझे मेरे नाम गुण के अनुरूप
धरातल दिलवाओ .
मै कमल हूँ हिटलर और मुसोलिनी नहीं हूँ.
मुझे अपने साथ लोगो का खुश होना और
मुस्कराना अच्छा लगता है .
मुझे सत्ता कि बेदर्द लड़ाई में इस्तेमाल मत करो
मुझे मुस्कराने दो
मुझे गाने दो वो तुम्हारी ही फिल्म का गाना .
;इन्सान का इन्सान से हो भाई चारा ,
यही पैगाम हमारा .

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