शनिवार, 14 अगस्त 2010

आज का समाजवाद

 मच गया शोर की समाजवाद आया है
लोग दौड़े अपने अपने थैले लेकर
कुछ फटे कुछ मैले कुचैले लेकर
पूछ आये हर दूकान पर
वहा रहने वालो के हर मकान पर
क्यों  भैया समाजवाद कहा है ?
थोड़ी देर पहले तक क्या भाव बिका है ?
सभी थे निरुत्तर नहीं मिला कोई उत्तर
वो गरीब लडखडाता हुआ वापस जा रहा था
समाजवाद
दिल्ली मुंबई के महलों में बैठा ठहाके लगा रहा था |.


                                                                         

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