शनिवार, 14 अगस्त 2010

पकिस्तान के नाम पत्र

पकिस्तान के नाम पत्र 

छोटी छोटी बाते छोडो 
ओछी हरकत 
बिना बात की नफरत छोडो 
आओ बैठो बात करे
सैतालिस से बहुत लड़ लिया 
हमसे नफरत बहुत कर लिया ,
आओ नई शुरुआत करे
 
इन सालो में क्या पाया है 
अमरीका की भीख पर जीना 
पाक बना क्या इसीलिए था  
आजादी से अब तक केवल 
मौत और बन्दूक का शासन 
देश बटा क्या इसीलिए था
बटवारे से घटे ही हो तुम 
और हमने खुद आकाश छू लिया 
सारी दुनिया मान रही है
बंदूके दे भेज रहे अपने बच्चे 
की वे मेरे बच्चो को मारे 
बटवारा क्या इसीलिए था
 
याद करो हम लड़े रहे थे अंग्रेजो से 
हिन्दू ,मुस्लिम सिख, ईसाई 
तब  क्या सपने थे
उन अंग्रेजो के पैसो से 
हर बार लड़े तुम मुह की खाई 
पर मरने वाले दोनों ही अपने थे
तुमने तों घायल कर डाला 
अपने तन को मेरे मन को 
क्या मिला तुम्हे बस कुछ डालर
गर ना लड़ते ना बटते 
दोनों बाजू ना कटते 
कितनी ताकत होती 
अपनी क्या कहने थे


टैंक नहीं उस पैसे से 
नहरे बांध और टंकी बनाये 
जो प्यासे हो खेत औ घर 
पानी पहुचाये
जो भी पैसा खर्च हो रहा  
सेनाओ पर 
इससे बनें स्कूल फैक्ट्री 
जीवन को आसान बनाये
भूख गरीबी और बेकारी 
उधर है तो इधर भी 
दुनिया की सारी बीमारी 
उधर है तों इधर भी
लड़ना छोडो 
आओ मिल कर इन्हें भगाए 
जर्मनी ने तोड़ दिया 
अब हम भी दीवार गिराए

हमने हाथ बढाया है 
दिल से आवाज लगाया है 
तय कर के आओ 
आओ मिल कर  बात करे 
अब न समय बर्बाद करे ।

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