शनिवार, 14 अगस्त 2010

हम थे  तुमको  दिल दे बैठे तुम थोडा भी निभा ना पाए
और ये भी कैसा इंतजार था मौत आ गई तुम ना आये

बस ये  मुझको मंजूर नहीं था कोई तुम्हे बेवफा बताये
बाहर तक आते देख किसी को हाथ हिलाते पर ना आये

धन दौलत के इस बाजार में दिल का सौदा मै कर बैठा
मै फ़कीर और इतनी जुर्रत, तुम इसको ही पचा ना पाए

बड़ी सी कोठी, कार बड़ी सी, दौलत होगी  प्यार ना होगा
अपने पास भी दौलत दिल की बहुत बड़ी थी दिखा ना पाए

कितना पागल, ढूढ़ रहा हूँ प्यार और वफ़ा  इस दुनिया में
होती तिजारत यहाँ प्यार की दिल को हम समझा ना पाये

ना कानून  ना कोई सजा है तों फिर क्या तुम दिल तोड़ोगे
दिल की अदालत वफ़ा की सजा ये किताब हम पढ़ा ना पाये

रोने धोने की आवाजे, कैसा बिस्तर, कैसे कांधे, अब जाना है 
बहुत भीड़ है सभी खड़े है मै जाऊ तों कैसे जाऊ तुम ना आये  








 





                                                                             

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