लोगो के सफ़र से जल रहे हो
हमारे साथ क्यों ना चल रहे हो
पुरानी है कहावत अब भी नयी है
कहावत है लेकिन बिलकुल सही है
चलना बस चलना ही जिंदगी है
रुके बस रुक गए तों मौत ही है
उठो चलो तुम जीवन भर चले हो
अकेले हो नहीं संग चल रहे हो
चाँद कितना दूर था अब पैरो के नीचे
बुद्ध ,मंगल आज अपनी ओर खींचे
इंसा कल शायद नया सूरज उगा दे
और सागर से ग्रहों पर फसले सींचे ,
ठान लिया,चल दिए तों सफल रहे हो
तूने पहाड़ काट कर नदिया निकाला
तूने बांधा हाथी और शेर चीता पाला
हवा में उड़ना समुद्र पर चलना सीखा
तुम ढले पर ईश रचना को भी ढाला
बर्फ पर दौड़े नहीं और फिसल रहे हो
आग जैसी भी हो बुझाना जानते तुम
गर धीमी पड़ गयी जलाना जानते तुम
आग दावानल बन कभी सब लील जाती
उस आग पर चल बढ़ जाना जानते तुम
आग पर हम चल रहे है तुम चल रहे हो
कैसा छलना किसको छलना जानते तुम
नश्वर जिंदगी किसको अपना मानते तुम
जो दिख रहे ये सब मरे है गीता में लिखा है
फिर क्यों दिलो में नफरतो को पालते तुम
ख़ुशी विश्वास बांटो तों तुम भी फल रहे हो .
है उचाइयां छूना तों बस हाथो को बढ़ा दो
बातें नहीं आत्मविश्वास पर हिम्मत चढ़ा दो
हिम्मतें मर्दा मरदे खुदा सुना होगा तुमने
हिम्मत बांध लो और पावो को बढ़ा दो
फिर देखो मंजिल डर मंजिल चल रहे है .
हमारे साथ क्यों ना चल रहे हो
पुरानी है कहावत अब भी नयी है
कहावत है लेकिन बिलकुल सही है
चलना बस चलना ही जिंदगी है
रुके बस रुक गए तों मौत ही है
उठो चलो तुम जीवन भर चले हो
अकेले हो नहीं संग चल रहे हो
चाँद कितना दूर था अब पैरो के नीचे
बुद्ध ,मंगल आज अपनी ओर खींचे
इंसा कल शायद नया सूरज उगा दे
और सागर से ग्रहों पर फसले सींचे ,
ठान लिया,चल दिए तों सफल रहे हो
तूने पहाड़ काट कर नदिया निकाला
तूने बांधा हाथी और शेर चीता पाला
हवा में उड़ना समुद्र पर चलना सीखा
तुम ढले पर ईश रचना को भी ढाला
बर्फ पर दौड़े नहीं और फिसल रहे हो
आग जैसी भी हो बुझाना जानते तुम
गर धीमी पड़ गयी जलाना जानते तुम
आग दावानल बन कभी सब लील जाती
उस आग पर चल बढ़ जाना जानते तुम
आग पर हम चल रहे है तुम चल रहे हो
कैसा छलना किसको छलना जानते तुम
नश्वर जिंदगी किसको अपना मानते तुम
जो दिख रहे ये सब मरे है गीता में लिखा है
फिर क्यों दिलो में नफरतो को पालते तुम
ख़ुशी विश्वास बांटो तों तुम भी फल रहे हो .
है उचाइयां छूना तों बस हाथो को बढ़ा दो
बातें नहीं आत्मविश्वास पर हिम्मत चढ़ा दो
हिम्मतें मर्दा मरदे खुदा सुना होगा तुमने
हिम्मत बांध लो और पावो को बढ़ा दो
फिर देखो मंजिल डर मंजिल चल रहे है .
कोई टिप्पणी नहीं :
एक टिप्पणी भेजें