शनिवार, 14 अगस्त 2010

आज बहुत याद आ रहा है कोई

आज बहुत याद आ रहा है कोई
कितना अकेला कर दिया मुझे
जिसने वादा किया था
जन्मो तक साथ चलने का
एक जनम भी साथ ना चल सके
सबसे बड़ी शक्ति कि मार से
बहुत संघर्ष किया साथ चलने के लिए
जीवन से और जीवन के लिए तों
संघर्ष करना आता था ,खूब आता था
लेकिन जीवन देने वाले से संघर्ष
 शायद किसी के बस में नहीं
ओ ना होती और ऐसी ना होती तों
जाने कब का मिट गया होता मै
सर का साया हट जाये तों अपना हाथ
 सर पर रख काम चल जाता है
परन्तु जब आँख कि रोशनी ,दिमाग से सोच ,
खून से गर्मी ,आत्मा से आत्म ,
मन कि खनखनाहट ,जीवन का संबल ,
जीने का आधार ,अपना पूरा संसार छीन जाये
तब कैसा लगता है किसी को ?
आज दिवाली है ,हमने कहा अपनों से मनाओ ,
यादो को दूर भगाओ ,हसो,मुस्कराओ
पर याद तजा हो गयी और गम हरे हो गए
,लगा कोई पास है लगातार
सहला रहा है ,समझा रहा है.रोशनी जला रहे है
 पर उसमे ओ चमक कहा जो तब थी
त्यौहार में ओ गर्मी कहा जो तब थी ,
सब मुस्करा रहे है फीकी मुस्कान .
सहारा बनने को लगातार उत्सुक
हमारा बेटा सहारा बन गया है , .
छुटकी हमसे से भी बड़ी ,परिवार कि धुरी बन गयी है
और बड़ी ओ तों सबका संबल है ,बहुत बड़ी हो गयी है
सब एक्टिंग कर रहे है एक दूसरे से पर सब उदास है
आप कहा है हर समय लगता है कही आस पास है
यूँ तों चारो तरफ बहुत लोग है ,बहुत जिम्मेदारिया है .
लेकिन बहुत उदासी है,अकेलापन है
,जीने में दुशवारियाँ ही दुशवारियाँ है

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