शनिवार, 14 अगस्त 2010

वो बच्चे हैं ना
हर हर महादेव और
अल्ला वो अकबर का शोर                                                                      
मौत का तांडव ,चीत्कार
हाहाकार चारो ओर,चारो ओर
और उसी में,.इधर उधर भटकते,
माँ को खोजते दो बच्चे
धर्म नहीं पता,जाति नहीं पता ,
जीवन और मृत्यु भी नहीं पता
जो हसकर बोल दे ,गोद में उठा ले
सीने से लगा ले वे सभी अच्छे
वो बच्चे है ना 
माँ माँ दूधू, माँ माँ रोटी उठो ना माँ 
कटा हाथ और सर पा
उसी से खेलने लगते है
वो बच्चे  है ना
दूसरा, दूध मांगते मांगते
रंग से नहा जाता है, लाल रंगसे
और किसी सीने पर सर रख
उलटने पुलटने लगता है
वो बच्चे है ना
उसने सुना था रंग का मतलब होली है
इसलिए वो भी बोला होली है
दोनों अब माँ और पापा को
पहचानने की कोशिश कर रहे  है
घूम रहे  है आवाज लगाते माँ माँ ,            
सभी औरते उसे माँ लगती हैं
आदमी उन्हें पापा लगते है ,
कैसे पहचाने सर जो नहीं है
सभी से दूध और रोटी मांगकर
थक जाते है दोनों बच्चे
वो बच्चे है ना
नहीं समझते जीवन और मृत्यु का फर्क 
मिल कर फिर खेलने लगते है
बिना जाने की दोनों बनाई गई
दुश्मन कौम के बच्चे
वो बच्चे है ना 
फिर भूख सताती है और
दोनों फिर ढूढने लगते है कुछ
खाना और दूध तों नहीं मिलता ,
मिल जाती है कटार एक को ,दूसरे को त्रिशूल
कटार वाला नहीं जानता कि वही कटार
उसके माँ बाप की कातिल है
त्रिशूल वाला भी नहीं जानता की उसे पकड़ते ही
उसका मजहब चोट खा रहा है
वो बच्चे है ना
समाज के ठेकेदारों ने थमा दिए है
उनके हाथो में मानवता के खिलाफ हथियार
पता नहीं बाद में उनकी जाति क्या होगी
उनका मजहब क्या होगा     
वे गांघी बन मानवता को बचायेंगे 
और दफना देंगे कही गहरे हथियार
या खुद हथियार बन जायेंगे 
मानवता को खोखला करने को
वो बच्चे  है ना
ये तों समाज तय करेगा और
किसको कौन पालता है वो तय करेगा
आओ हाथ में हाथ मिलाये और
इन हाथो में हथियार नहीं किताबे थमाए  
उन्हें हाथ ,पैर और सर कटी लाशो की नहीं
इंसानों की दुनिया दिखाए
वो हमारे ही बच्चे है ना

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