शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

संसद में ये बहस है कि बड़ा चोर कौन

संसद में ये बहस है
कि बड़ा चोर कौन
संसद भी है मौन
सांसद भी मौन
ये बड़ी बहस है
निर्णय करेगा कौन
वोटर हैरान है
मानस परेशान है
मौन संविधान है
ये कौन सा विधान है
सब लोकतंत्र लोकतंत्र
खेल रहे है
हम तठस्थ बन कर
इन्हें झेल रहे है
फिर सवाल अपनी जगह
ही खड़ा हुआ
हमारी तटस्थता से बड़ा हुआ
कौन बड़ा चोर है
कुछ लोग या हम सब
क्योकि हम तठस्थ है
नून तेल में व्यस्त है
देश चाहे रहे या भाड़ में जाये
जहा कही माल हो
मेरे घर में आये
तब क्या सवाल है
काहे का मलाल है
कौन बड़ा चोर है
तोर है या मोर है
पर अब तय ये रहा
हम सब चोर है
या तो जागो खड़े हो
संसद से भी बड़े हो
या फिर सत्ता सौप दो
राजा रजवाड़े को
और खुद को सौंप दो
भेड़ वाले बाडे को
लोकतंत्र का खेल
हो गया है झेलमझेल
या संविधान बांच ले 
पुरसार्थ मांज ले
अपना ज्ञान जाँच ले
और तिरंगा थाम ले
बापू ,सुभाष नाम ले
देश के सवाल पर
जाति ,धर्म छोड़ दो
बस अपने स्वार्थों
का रुख जरा मोड़ दो
संसद जगा दो तुम 
भ्रस्टों को भगा दो तुम 
देश को मजबूत कर
मत डर ,मत डर ,मत डर  ।


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