मंगलवार, 20 नवंबर 2012

बड़े ही बेख्याल है, मेरे शहर के लोग

बड़े ही बेख्याल है, मेरे शहर के लोग
खुद में ही सवाल है मेरे शहर के लोग ।

भैये गुरु की आवाजें यहाँ गूंजती रहती
दोस्ती में मालामाल है मेरे शहर के लोग ।

कोई किसी का नहीं और सब सबके है
ये कैसा इंद्रजाल है मेरे शहर के लोग ।

दुनिया को प्रेम सिखाता है ताज का शहर 
नफ़रत से मालामाल है मेरे शहर के लोग ।

ये ताजमहल खा गया लाखो की रोटियां
पर ताज पर निहाल है मेरे शहर के लोग ।

पानी नहीं बिजली नहीं सड़कें नहीं यहाँ
पर खुश है खुशहाल है मेरे शहर के लोग ।

लूटे ,पिटे या गिर ही गए कोई गम नहीं 
चलते  ही मस्त हाल है मेरे शहर के लोग ।

पडोसी के घर डाका या बेटी ही उठ गयी
सुबह पूछते सवाल है मेरे शहर के लोग ।

चाट के दोनो और पीक से भर दिया शहर
हाँ साफ़ सुथरे लाल है मेरे शहर के लोग ।

जुम्मन या रामलाल की बेटी पर चटकारे
हर वक्त रंग गुलाल है मेरे शहर के लोग ।

वोट दिया जाति धर्म या खास वजह से
क्यों  पूछते सवाल है मेरे शहर के लोग ।

चलो तय करे सचमुच बदलेंगे शहर को
पर इसमें सुस्त हाल है मेरे शहर के लोग ।

क्या क्या कहूँ क्या न कहूँ अपने शहर को
मेरे है और मेरी ढाल है मेरे शहर के लोग ।

जिसे भी अपना मान दिल में जगह दे दिया
बने वही जी का जंजाल है मेरे शहर के लोग ।

कवाब ,भंग या शराब संग मस्ती में रहना है
खजाने का करते ख्याल है मेरे शहर के लोग ।

मेरा शहर तो हर  वक्त बस झूमता रहता 
जी हाँ खुद में सुर ताल है मेरे शहर के लोग ।

नाले है घर में बह रहे या घर ही बना नाला
जी हाँ तलैया और ताल है मेरे शहर के लोग ।






कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें