सोमवार, 1 अप्रैल 2013

बस तुम्हारे लिए, लेकिन

मैं चाँद पर चढूँगा तुम्हारे लिए 
चढूँगा भी, पर
अभी मेरे पैरों में दर्द है
मैं तारे तोड़ लाऊंगा
तुम्हारे लिए ,पर
हाथ थोड़े छोटे पड़ गए है
देखो मेरा दिल धडकता है
बस तुम्हारे लिए, लेकिन
मेरा दिल बहुत बड़ा भी तो है
इसलिए, इसमें समां गए है
बहुत से भांति भांति के लोग
चलना चाहता हूँ, सिद्धांतो पर
याददाश्त, कमजोर हो गयी है
याद ही नहीं रहे ,कोई सिद्धांत
मैंने तुमसे जो वादे किये थे न
वे भी मैं इसीलिए बार बार
भूल जाता हूँ
तुम बुरा मत मानो
मैं तो बहुत अच्छा हूँ
पर इन परेशनियो के कारण
ऐसा  हो गया हूँ
अब जैसा भी हूँ तुम्हारा या
बहुतो का ही हूँ ना
सब मिलकर मेरा कल्याण
करते रहो, क्योकि
तुम सब मेरे लिए हो, न
तुम सब नहीं बल्कि मैं
तुम सब की जिमेदारी हूँ ।
आओ अपना सब कुछ
न्योछावर कर दो मुझे
अपना अभीष्ट मान कर ।


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