शुक्रवार, 29 मार्च 2013

मजाक मजाक में कह देता हूँ

मजाक मजाक में कह देता हूँ
बहुत कुछ सच ,पर 
वो समझते है कि मजाक है
ये कितना बडा मजाक है
मेरी जिंदगी के साथ
मेरी भावना के साथ
पर खुश रहो मेरे दोस्त
तुम मजाक मान कर भी
बहुत कुछ ऐसा कह जाते हो
जो छू जाता है मेरे मन को
सहला जाता है मेरे वजूद को
और सिहरन पैदा का जाता है
मेरे सम्पूर्ण अस्तित्व में
चलो यही सही
तुम इतना ही करते रहो
ये भी तो एक एहसान है
एक टूटे हुए इंसान के ऊपर
खुदा तुम्हे सलामत रखे
ताकि
तुम मजाक कर सको और उसे
मजाक ही समझते रहो
ज़िन्दगी भर
क्या पता
जिंदगी की डोर कब टूट जाये
कम से कम तब तक । 

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