रविवार, 21 जून 2015

आइये राजघाट चले ,

नेताजी भाषण कर रहे थे
आज दो अक्टूबर है                                                                     
आइये राजघाट चले ,
बापू की कसम खाये
उनके सिधांतो को याद करे,
और निभाये
हमसे रहा नही गया,
और सहा नही गया
हमने कहा,
नेताजी गजब करते है आप
बापू की कसम खा लेंगे
चमचे आसपास दिखलाई नही पड़ेंगे
बापू की कसम खाओगे
मॉस नही खाओगे
दुबले हो जाओगे
बापू की कसम खाओगे
छूटेगी कोठी और कार
नंगे पैर जमीन पर घूमोगे यार
दुबले और काले हो जाओगे
यहाँ तक तों सह लोगे लेकिन
बापू की कसम खा लोगे
दूसरो की औरतो को नही छू पाओगे
फिर जन सम्पर्क कैसे बढाओगे
तब नेताजी घबराये ,रुका ,सोचा ,
मुस्कराए और बोले
यार क्यों रॉकेट की तरह छूटते हो,
भेजा गरमा दिया
क्यों अपने मन की अपने आप लूटते हो,
डरा दिया
हमने कब कसम खाई है की
राजघाट के बाहर भी निभाएंगे
बाहर निकल कर मुक्त होंगे भूल जायेंगे
और अगर अधिक आलोचना होगी क्या
अगले साल दो अक्टूबर नही आयेगी
फिर यहाँ आएंगे ,फिर कसम खायेंगे ,
फिर उसी तरह निभाएंगे .

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