मंगलवार, 15 सितंबर 2015

तुमने ही किसे बख्शा जब कोई सूरज तुम्हे नजर आया
की मैं सूरज छोड़ दूँ और तुम्हारे साथ सड़ता ऐसे ही रहूँ
तुमने तो सरो पर पाँव रख कर सारी ही मंजिले तय की
चाहते हो मैं अपने पाँव पर चल कर भी सूरज नहीं पाऊं |

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