मेरी राहे है पथरीली पड जायेंगे तुम्हारे पांव में छाले
तुम्हारे पांव मखमल के लिए है तुम उस तरफ जाओ |
तुम्हारे पांव मखमल के लिए है तुम उस तरफ जाओ |
पहचान उन सभी का मंच है जो जिंदगी को जीते नहीं जीने का निर्वाह करते है .वे उन लोगो में नहीं है जिन्हें जीवन मिला है या जीने का मकसद उनके साथ रहता है .बस जीने और घिसटने के बीच दिल वालो की कलम से और दिल से जो निकल जाता है वही कविता है .पहली कविता भी तों आंसू से निकली थी .आंसू अपने दर्द के हो या समाज के ,वे निकलेंगे तों कविता भी निकलेगी और वही दिलवालो की ;पहचान ;है
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