शनिवार, 21 जुलाई 2018

बारिश

बारिश  नहीं आयी
उफ़्फ़ कितनी गरमी है 
सूरज जला देगा क्या 
ये बारिश क्या करेगी 
आफ़त बन कर आयी है 
सब कुछ बहा देगी क्या 
देखो गिर गए 
कितनो के कच्चे घर 
और 
झोपड़ियाँ भी जवाब दे गयी 
अबकी बारिश समय पर आयी 
और उतनी ही आयी 
की अबकी खेत सोना उगलेंगे 
अभी बारिश तो आफ़त है 
भीग गया खेत और खलिहानों में सब 
अब साल कैसे बीतेगा 
कैसे होगी उसकी पढ़ाई और दवाई 
कैसे ब्याहेगा वो बिटिया 
बारिश आयी स्कूल की छुट्टी 
छप्प छप्प करते वो पानी में 
वो काग़ज़ की नाव बहाते 
वो बचपन कितना प्यारा लगता है 
उससे पूछो जो अभी है ब्याही 
और पति सीमा पर बैठा 
उन दोनो के मन की सोचो 
और 
वो दोनो भीग रहे छतों पर 
दोनो देख रहे दोनो को 
भीगा आँचल भीगा यौवन 
दोनो को है कितना जलाए 
वो मछरदानी पर प्लास्टिक बिछा रही है 
बालटी भगौने सब बिस्तर पर सज़ा रही है 
ख़ुद बैठी है पर बच्चों को 
इस कोने और उस कोने कर 
वो बारिश से बचा रही है 
पूरी रात नहीं वो सोयी 
सब झेला 
पर कभी नहीं क़िस्मत पर रोयी 
उससे पूछो बारिश का मतलब 
जो पूरा घर अब सूखा रही है 
बारिश अब ख़त्म हो गयी 
चरो तरफ हरियाली छायी

फूलों से अब लदी डालियाँ 
सबको ही अच्छी लगती है 
भूल गए सब क्या झेला था 
वो अच्छा या बहुत बुरा था 
फिर ज़िंदगी पटरी पर आयी 
उफ़्फ़ 
ये बारिश कैसी बारिश ।


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