कुछ सवाल है
जो अनुत्तरित है
कुछ जवाब है
जो खुद
सवाल बन गए है
सिलसिला टूटता ही नही
न सवालो का न जवाबो का
क्रिया और प्रतिक्रिया जारी है
पर कही तो कोई दीवार होगी
या
होगा इस सफर का डेड एंड
जो रोक देगा क्रिया को
और प्रतिक्रिया को भी
और
फिर सब होगा शांत शांत ।
पहचान उन सभी का मंच है जो जिंदगी को जीते नहीं जीने का निर्वाह करते है .वे उन लोगो में नहीं है जिन्हें जीवन मिला है या जीने का मकसद उनके साथ रहता है .बस जीने और घिसटने के बीच दिल वालो की कलम से और दिल से जो निकल जाता है वही कविता है .पहली कविता भी तों आंसू से निकली थी .आंसू अपने दर्द के हो या समाज के ,वे निकलेंगे तों कविता भी निकलेगी और वही दिलवालो की ;पहचान ;है
मंगलवार, 16 अक्तूबर 2018
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