गुरुवार, 26 सितंबर 2019

बारिश की छुवन


बारिश की छुवन

सुबह से हो रही है
लगातार
मूसलाधार बारिश
नही निकला
मैं घर से आज
झाँक रहा हूँ
खिडकी से लगातार
कभी जाकर
खड़ा हो जाता हूँ
दरवाजे पर
और
हाथ बाहर निकाल कर
महसूसता हूँ
बारिश की छुवन को
और
यादो की
किसी छुवन को भी
बारिश ने भिगो दिया है
यादो की चादर को
कभी कांन मे
एक आवाज आती है
अब तो आप को
गरम हलुवा
और
पकौड़ी चाहिये न
कितने कप बना दूँ
चाय या काफी
वरना फिर कहेंगे
कि
हलुवा खाते खाते
और
उसके बाद कहेंगे
कि
पकौड़ी खाते खाते
ठंडी हो गयी चाय तो !
इसलिए एक बार ही
बना कर ले आते है
थर्मस मे
और
पकौड़ी आलू की
या
और चीजो की भी ?
चौक कर देखता हूँ
कांन बेकार हो गये है
आप के जाने के बाद
हर वक्त जब तक
सो नही जाता हूँ
आप की तमाम आहटे
पर सच तो
वैसे
आप के जाने के बाद
बेटी ने भी पूरी तरह
आप का सिखाया निभाया
जब भी बारिश होती
वही बरामदा वही कुर्सिया
और
वो लेकर आ जाती
वही सब कुछ
कुछ कुछ वही स्वाद
खुली आंखो का सपना
टूट गया
उठा धीरे से
डगमगते कदमो से
और
बिजली के केतली मे
गरम कर दिया पानी
उसमे डाल दिया
एक रेडीमेड चाय का पाउच
ले लिया
एक मुट्ठी मे चना
और
आकर बैठ गया हूँ
बारिश के सामने
दरवाजा खोल कर
और
महसूस कर रहा हूँ
वही सब
कितनी यादो के थपेडे
दस्तक दे रहे है आज ।
बिल्कुल चिंता मत करिये
हम बहुत अच्छी तरह है
और
बहुत खुश है ।
देखिये न बारिश मे
चाय लिए बैठे है
पकौडे और हलुवा
अब अच्छा नही लगता
वरना
वो भी बना ही लेते ।
आइये
थोडा बारिश मे भीगा जाये
नही नही
नुक्सान कर देगी ये बारिश
बीमार कर देगी
एक ही बीमारी क्या कम है
जो छीन ले गयी
जिन्दगी से जिन्दगी ।

कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें