शनिवार, 30 नवंबर 2019

घर के बीच की दीवारों के दिल होता तो कैसा होता



घर के बीच की दीवारों के दिल होता तो कैसा होता
भाई के दुःख पर तब दीवार भी रोती औ दिल रोता ।

पत्थर की दीवारे है पर इन्सान भी पत्थर बनते क्यों 
इक माँ की ही कोख से पैदा नफरत के छाते तनते क्यों 
घर और जमीन तो बंट जाएगी  पर माँ को कैसे बाँटोगे 
नफरत इतनी सब बटना है पर माँ को कहा से  काटोगे

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