घर के बीच की दीवारों के दिल होता तो कैसा होता
भाई के दुःख पर तब दीवार भी रोती औ दिल रोता ।
पत्थर की दीवारे है पर इन्सान भी पत्थर बनते क्यों
इक माँ की ही कोख से पैदा नफरत के छाते तनते क्यों
घर और जमीन तो बंट जाएगी पर माँ को कैसे बाँटोगे
नफरत इतनी सब बटना है पर माँ को कहा से काटोगे
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