बुधवार, 4 दिसंबर 2019

रिमझिम फुहारों के साथ

काश 
रिमझिम फुहारों के साथ 
हम भी बह जाते
या 
लगती एक मेज बाहर 
और
सज जाती उस पर 
पकौड़ियाँ तरह तरह की 
सूजी का हलवा 
और 
अदरक वाली चाय 
फुहारों की बूंदे 
आती चेहरे पर 
या नंगे पैरों पर 
और 
सिहरन दौड़ जाती 
सिमट जाता अस्तित्व 
पिघल जाने को 
काश !

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