मंगलवार, 23 जून 2020

जो लिखा ही नही

तुम पढ़ लो  
वो कविता 
जो 
मैंने लिखा ही नही 
तुम देख लो 
वो चित्र 
जो 
मैंने बनाया ही नही 
तुम बस जाओ 
उन साँसों में 
जो 
मैंने ली ही नही 
तुम आ जाओ 
मेरे घर में 
जो 
कही है ही नही 
पर 
तुम आ सकते हो 
सपने में मेरे 
जिसकी 
सुबह याद नही रहती 
छोटी सब 
आ जाओ 
और बैठ जाओ 
मेरे सामने ताकि 
निहार सकूँ मैं तुम्हें 
जब तक 
मैं मैं हुँ और तुम तुम हो । 

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