रविवार, 5 जुलाई 2020

ऐसे चित्रो से डर लगता है

ऐसे चित्रो से डर लगता है
  
ऐसे ही बहुत से चित्र 
तो देखे थे हमने 
तालिबान के यहाँ के 
इसी रंग के कपड़ो मे 
जिनकी गर्दने रेत रहे थे 
ऐसे ही मासूम बच्चे 
और 
वो सब मुल्क 
जहा ऐसे चित्र दिखे
चीथड़ों से दिख रहे है 
वीरान खंडहर वाले भुतहा 
भागते हुये लोग
चीखते हुये लोग 
कटते और धमाको मे
उडते हुये लोग 
चारो तरफ 
शोर ही शोर 
धुवा ही धुवा 
लाशे ही लाशे 
और खंडहर मे 
तब्दील हो गए 
वो खूबसूरत शहर 
लाशो मे तब्दील वो
खूबसूरत शक्ले 
चीखो और धमाको मे तब्दील 
वो अच्छी आवाजे 
सचमुच 
बहुत डर लगता है 
ऐसे चित्रो से 
वो चाहे जिसके हो 
और चाहे जहा
चाहे जिसने खीचे हो
मत बनाओ ऐसे चित्र 
इन बच्चो के हाथो मे
थमाओ किताबे 
खेलने की चीजे 
और 
बजाने को वाद्ययंत्र 
लोहे से बनी ये किताबे 
इन्हे मत पढावो
लोहे के ये वाद्ययंत्र 
इनसे मत बजवावो
इन्हे इन्सांन ही रहने दो 
इन्हे मौत बेचने वाला 
शैतान मत बनाओ 
बहुत डर लगाता है 
इन चित्रो से अब ।
नोट -( यह तस्वीर कही की हो और किसी की हो बस उसका उपयोग अपनी बात समझाने के लिए किया गया है )

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