शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020

चल पडूंगा पूरी ऊर्जा के साथ

चल पडूंगा फिर पूरी ऊर्जा के साथ--

मन बहुत असहज
सर पर द्वन्द का पहाड़
कुछ अकेलापन
और
कुछ अज्ञात भय
कुछ जीवन के हालत
बदलने के काल का विचलन
सचमुच
जब कोई पूरी नौकरी करके
अवकाश प्राप्त करता होगा
और
अचानक खाली हो जाता होगा
सब सुविधाओ और अधिकारों से
अचानक विमुक्त
और 
अकेले में याद आता अतीत
अतीत के वो सारे कृत्य
जो उस वक्त के नशे में किये
और 
अब नए धरातल पर
झकझोरते हुए 
खुद को अंदर तक
कुछ ऐसा ही तो हो रहा है
मेरे साथ भी
कितना मुश्किल हो रहा है
सामंजस्य बैठाना 
वक्त से
और 
अपने अतीत में झाँकना
मीठी यादो का गुदगुदाना
और 
बुरी का आहत कर देना 
और 
चीर देना आत्मा को
सचमुच कैसे रहते होगे
वो सारे लोग
कभी जीवन ऊचे पहाड़ की चढ़ाई सा
चढ़ने से पहले ही हांफने का एहसास
और 
कभी बर्फ की खायी सा
फिसलने से पहले ही
अंधी खोह में समां जाने का डर
पर सम्हाल जाऊंगा मैं
और
चल पडूंगा फिर पूरी ऊर्जा के साथ
अपने कर्तव्य पथ पर
पर आज तो आज है
और 
कल का इन्तजार है
स्वर्णिम किरणों के साथ
जीवन में प्रवेश करने का |

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