अपनी अपनी किस्मत
कि
जिस किसी को गड्ढे से
या जमीन से
और
अंनपहचानेपन से उठा कर
उंगली पकड़ कर
कही बैठा दिया
वही खंजर छुपा कर बैठ गया
पीठ पर वार करने को
उसी ने कोशिश की
कि
अस्तित्व ही खत्म कर दे
हमारा
कितने कमीन मा बाप
और
शिक्षक रहे होगे
जिन्होने
ये शिक्षा दी होगी इन्हे
पता नही
कही पहला दाव
इन्होने अपने मा बाप
और
शिक्षक पर ही
आजमाया होगा
तब
इतना कमीन बनने
का हुनर आया होगा
मुझे इनसे घाव खाने का
इतना चस्का लग गया है
कि
मैं खुद को बदलने को तैयार नही
और
ये लोग भी कमीनपने की नाव से
उतरने को तैयार नही
जंग जारी है लगातार
कमीन मे और जमीन मे
दोगलेपन मे और जमीर मे
मुझे पता है
मैं फिर हार जाऊंगा
इनसे
पर मेरी जिद है
की
एक दिन इन्हे हराउंगा ।
शायद
तब तक दुनिया से
कूच कर जाऊंगा ।
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