मंगलवार, 12 जनवरी 2021

जंग जारी है जमीन की कमीन से

अपनी अपनी किस्मत 
कि 
जिस किसी को गड्ढे से 
या जमीन से 
और 
अंनपहचानेपन से उठा कर 
उंगली पकड़ कर 
कही बैठा दिया 
वही खंजर छुपा कर बैठ गया 
पीठ पर वार करने को 
उसी ने कोशिश की 
कि 
अस्तित्व ही खत्म कर दे 
हमारा 
कितने कमीन मा बाप
और             
शिक्षक रहे होगे 
जिन्होने 
ये शिक्षा दी होगी इन्हे 
पता नही 
कही पहला दाव 
इन्होने अपने मा बाप
और                
शिक्षक पर ही 
आजमाया होगा 
तब 
इतना कमीन बनने
का हुनर आया होगा 
मुझे इनसे घाव खाने का 
इतना चस्का लग गया है 
कि 
मैं खुद को बदलने को तैयार नही 
और 
ये लोग भी कमीनपने की नाव से 
उतरने को तैयार नही 
जंग जारी है लगातार 
कमीन मे और जमीन मे 
दोगलेपन मे और जमीर मे 
मुझे पता है 
मैं फिर हार जाऊंगा 
इनसे 
पर मेरी जिद है 
की 
एक दिन इन्हे हराउंगा ।
शायद 
तब तक दुनिया से
कूच कर जाऊंगा ।

कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें